Wednesday 12 December 2012

रात चुनर
हीरे जड़े तारों से
चाँद सा मोती  ... 'पुष्प'

Thursday 4 October 2012

..... वह वक्त तुम्हारा  ....
 
सूफी ग़ज़ल में जीकर 
तन्हाई वक्त को गुजारा है हमने 
शाम की मीठी रोशनी में जलकर 
कई कई बार यादों को भूला है हमने ............. 
 
रात का चादर बिछा 
आसमां ने मुंह मोड़ लिया 
जलते दीये की लो ने दीप से
अपना दामन कब का छोड़ दिया ..............
 
वो समझे  .............. या ना समझे
था .. हुआ ... कभी .... ये उनकी ही खता 
हमने तो पलों में बांटा सब कुछ 
दिन दोपहर सभी  सालों में गुजारा है .............
 
 
" पुष्पा त्रिपाठी " 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Thursday 13 September 2012

.......   एक बात जो मै तुमसे कर लूँ   ......
मै कर भी लूँ गर
कोई शिकायत  
ये मेरी हसरत तो नहीं
मै मान भी जाऊं गर
किसी उम्मीद  से अलग
तो ये तुम्हारा प्रमाद  hi सही            ( प्रमाद = नशा,  भूल-चूक,  अन्तः करण की दुर्बलता )
जानती हूँ मै तुम्हे
तुम जमीं पर नहीं
आसमां पर चलते हो
इंशान थोडा होकर
रहते हो
व्यर्थ है तुमसे कुछ कहना
मेरा भाउक हो जाना
कुछ विस्तृत शब्द कहना  
और उसमें गुमनाम बनना
पर इस का तुम्हे  भान कंहा
तुम तो अब भी अनजान रहे
गमों परेशानियों से हमारे
अब भी देख रहे हो जैसे
विस्पष्ट ...  विमुख ... होकर
" पुष्पा त्रिपाठी "
.......   एक बात जो मई तुमसे कर लूँ   ......
 
मै कर भी लूँ गर
कोई शिकायत  
ये मेरी हसरत तो नहीं
मै मान भी जाऊं गर
किसी उम्मीद  से अलग
तो ये तुम्हारा प्रमाद  hi सही            ( प्रमाद = नशा,  भूल-चूक,  अन्तः करण की दुर्बलता )
जानती हूँ मै तुम्हे
तुम जमीं पर नहीं
आसमां पर चलते हो
इंशान थोडा होकर
रहते हो
व्यर्थ है तुमसे कुछ कहना
मेरा भाउक हो जाना
कुछ विस्तृत शब्द कहना  
और उसमें गुमनाम बनना
पर इस का तुम्हे  भान कंहा
तुम तो अब भी अनजान रहे
गमों परेशानियों से हमारे
अब भी देख रहे हो जैसे
विस्पष्ट ...  विमुख ... होकर
 
" पुष्पा त्रिपाठी "
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

Tuesday 3 April 2012

 आँखों से ओझल ना कर
मुझको ऐ मेरे दीदार ..
रम जाने दे मुझको bhi तू
इन दो नैनों के पार .......